Ind36@जांजगीर-चांपा। ब्लाक मुख्यालय पामगढ़ अम्बेडकर चौंक से डोंगाकोहरौद, भिलौनी, ससहा राहौद, बलौदा बाजार होते हुए राजधानी रायपुर को जोड़ने वाली सड़क जवाब खस्ताहाल हो गई है। सड़कों पर निकलना मुश्किल हो गया है। अनगिनत गड्ढे होने से हमेशा हादसे का डर बना रहता है। जरा सी बारिश हुई की सड़कों पर बेहताशा गड्ढे हो गए और अब दो दिन से हो रही रिमझिम बारिस से गड्ढों में पानी भर गया है। ऐसे में वाहन चालकों को यह भी पता नहीं चल पा रहा है कि कहां गड्ढा है और कहां सड़क बची हुई है। कई लोगों ने क्षतिग्रस्त सड़कों की वजह से अपना रोज का दिनचर्या रास्ता ही बदल लिया है। स्थिति यह है कि बच्चे घर से स्कूल देरी से पहुंच रहे हैं तो कामकाजी लोगों को दफ्तरों में देरी से हाजिरी लगानी पड़ रही है। क्षतिगस्त सड़कों की वजह से आए दिन जाम भी लगने लगा है वहां भी अनगिनत गड्ढे हो गए हैं। इन सड़कों पर चलने राहगीरों के कपड़े शरीर पर कालिख पोतने का काम शुरू होगा।ये महज कुछ उदाहरण हैं रोड में तो जलभराव ऐसा है कि सड़कें नजर ही नहीं आतीं।लेकिन अनगिनत गड्ढे बदहाली की कहानी बताने के लिए काफी हैं। कई गाड़ियों के बम्पर तक सड़क से टकरा चुके हैं। संबंधित विभाग नहीं दे रहे ध्यान, मरम्मत के नाम पर होती है कभी कभार खानापूर्ति, जिससे कुछ दिन बाद ही बन जाते हैं गड्ढे. इस वर्ष लगातार हुई बारिश से सड़कों में गड्ढे हो गए हैं, लेकिन इनकी मरम्मत नहीं की जा रही है, जिससे वाहन चालक परेशान हो रहे हैं। बारिश के पानी में यह गड्ढे नजर भी नहीं आते हैं। इसके बाद भी संबंधित विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इन सड़कों में बारिश से गड्ढे हो गए हैं, लेकिन मरम्मत नहीं की जा रही है। , लेकिन मरम्मत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। वर्तमान में अश्वनी होटल पामगढ़ से डोंगाकोहरौद दीपक साहू मकान तक सड़क की ऊपरी खराब हो गई है और जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं, जिसमें बारिश का पानी जमा हो रहा है। साथ ही सड़क कीचड़ में तब्दील हो चुकी है। बारिश रुकने पर यहां धूल के गुबार उडऩे लगते हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। जो प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत 2004 मे बनाया गया था, जिसमें बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। पिछले दिनों गड्ढे भरवाए गए थे, लेकिन बारिश होने के बाद फिर से गड्ढा बन गए हैं।
यहां से निकलने वाले वाहन चालकों सहित शाला जाने वाले छात्राओ को भी परेशान होना पड़ रहा के बड़े-बड़े गड्ढे बन गए है। कागजी प्रक्रिया के तहत यह अभी तक नहीं हो पाया है। बैटरी चलित टोटो चालक रामकुमार ने बताया, “हमारी मजबूरी है कि इस रास्ते से जाना पड़ता है। रास्ता इतना खराब है कि इस पर टोटो लेकर चलना बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण देने जैसा है। कई बार टोटो यहां सड़क के गड्ढे में पलट भी गया है, यात्रियों को चोट भी आई है। गोकुल पाटले कहते हैं, “यही सड़क हमलोगों का रूट है सिर्फ पर ही ठहरती हैं, इसलिए हमारी मजबूरी है ऑटो लेकर जा रहे चालक ने बताया कि रोजी रोटी का सवाल है, इसलिए इस सड़क पर आना हम लोगों की मजबूरी है। वरना इस सड़क पर कौन जाना चाहेगा, जहां गड्ढे ही गड्ढे हैं।अभी हाल के दिनों में गया है। इससे इतनी धूल उड़ती है कि यहां से गुजरना मुश्किल हो रहा है।